Memory Power Tips
अभी हाल हीं मैं एक पुस्तक पढ़ रहा था, "Moonwalking with Einstein "। उसमें बहुत सारे स्मरण शक्ति बढ़ाने के तरीके दिये हुए थे । और ये भी बताने की कोशिश की गई थी कि 'Experience' का वास्तविक अर्थ आपके अपने कार्यक्षेत्र में प्रयोग में लाये जाने वाले एक विशेष तरह की जानकारियों को शीघ्रता के साथ और ज्यादा समय तक याद रखे रहने का कौशल मात्र है । जैसे कि कई सारे रेस्तरां में कुछेक वेटर ऐसे मिल जाएंगे जिन्हें आपका ऑर्डर लिखने कि आवश्यकता बिलकुल भी नहीं पड़ती चाहे जितना भी बड़ा ऑर्डर क्यूँ न हो । वैसे हीं कई कैब ड्राईवर ऐसे मिल जाएंगे कि जिन्हें रास्ते तुरंत याद हो जातें हैं और वो हमेशा याद रहता है उन्हें । ऐसा नहीं है कि उनका दिमाग हमसे ज्यादा विकसित है या स्मरण शक्ति ज्यादा अच्छी है, बिल्कुल नहीं । वो तो बस उन लोगों ने अपने अपने तरीके बना लिएं है चीजों को याद रखने के लिए और उस तकनीक को इतनी बार दुहराया है कि अब "Sub-conscious mind" हीं सारा दारोमदार संभाल लेता है ।
खैर आते हैं फिर असली मुद्दे पर । तो बात ये है कि बचपन से अच्छी स्मरण शक्ति के चमत्कारिक शक्तियों के बारे में सुनते हुए बड़े हुए हैं । चाहे वो स्वामी विवेकानंद हों या पूजनीय गुरु गोलवलकर जी, ऐसे जिन भी महापुरुषों की जीवन माला पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ सबमें एक बात थी जो सामान्य रूप से विद्यमान थी और वो थी प्रखर स्मरणशक्ति और तीक्ष्ण एकाग्र हो पाने का सामर्थ्य । बचपन से ऐसी मेधा का स्वामी बनने की उत्कट अभिलाषा के वजह से और कुछ गुरु जी लोगों एवं पिताजी के द्वारा समय समय पर दिये गए कटु प्रवचनों (😅) के वजह से कई सारी ऐसी पुस्तकें पढ़ी जिसमें स्मरण शक्ति को तीक्ष्ण करने के तरीके दिये हुए थे । और फिर पढ़ने और थोड़ा समझने के बाद फिर मुझे इस कटु-सत्य का ज्ञान हुआ कि आप तैराकी केवल उसके तकनीक को पढ़ के नहीं सीख सकते । मतलब केवल पढ़ कर बिना उसे दैनिक व्यवहार में लाये बिना आप उसे सीख हीं नहीं सकते । ये "Memory Power Tips" लिखना भी मात्र इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए है कि कोई तो ऐसा मिल जाये जिसके साथ ये गुरुतम कार्य में दक्षता प्राप्त किया जा सके ।
वस्तुतः स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाले उपायों और तकनीकों को जानने से पहले ये जान लेना आवश्यक है कि याद्दाश्त है क्या और हमारा दिमाग कैसे काम करता है । याद्दाश्त को अगर साधारण भाषा में पारिभाषित करें तो ये हमारे दिमाग द्वारा सूचनाओं को संग्रहीत करना है । और किसी भी जानकारियों को संग्रहित करने का 2 माध्यम है जो हमारा दिमाग उपयोग में लाता है । पहला है Temporary Memory Storage और दूसरा है Long Term Memory Storage । आपको शायद ये जान कर आश्चर्य हो कि सारे computers भी इसी प्रणाली पे कार्य करते हैं। उनमें भी temporary storage (RAM) और Long-term storage होता है । वैसे सारे व्यक्ति जिनकी स्मरण शक्ति अच्छी होती है वो दिमाग में संग्रहीत सूचनाओं को तुरंत हीं Temporary Memory Storage में लाने की कला के अभ्यस्त होते हैं ।
जितनी भी सूचनाएँ (Information and Data) हमारे दिमाग में संग्रहीत होती हैं उन्हें हमारा दिमाग दो वर्गों में विभाजित करके रखता है । पहला होता है declarative memories और दूसरा non-declarative memories। Declarative memories वैसी memories हैं जिनके बारे में हम आश्वस्त रहते हैं कि ये हमे याद है और इसे हमारा conscious mind संभालता है । जैसे कि आपके प्रियतम की आँखों का रंग क्या है या कल रात खाने मे क्या खाया या देश के प्रधानमंत्री कौन हैं ये सारी सूचनाएँ declaration memories हीं हैं ।
Non-declaration memories को हमारा sub-conscious mind संभालता है । और इसमें वो सारी चीजें आती हैं जो हम unconsciously करते हैं या करना जानते हैं । जैसे कि कोई गाड़ी चलाना, किसी पोस्टर को पढ़ना, अपना हस्ताक्षर करना या या पीछे नेपथ्य में बजने वाले संगीत पे गाना गुनगुनाने लग जाना।
अगर आपसे किसी फिल्म के खत्म होने के तुरंत बाद पूछा जाए कि हीरो या हीरोइन कौन थी तो आप बिना एक पल की देरी किए बता पाएंगे लेकिन यही आपसे पूछा जाए कि देश के राष्ट्रपति कौन हैं या या उपरोक्त फिल्म के हीरो हीरोइन के बारे में हीं पूछा जाए कुछ समय के बाद तो आपको उत्तर देने में कुछ seconds का समय लगेगा ही लगेगा । ये सारा सारा का झोल इसी temporary and long-term storage का है । जो भी सूचना Temporary storage में होती है वो तुरंत मानसपटल पे आ जाती है और जो भी long-term storage में है वो पहले temporary storage में आता है और फिर हमारे मानसपटल पे । ऐसा केवल Declaration memories के साथ ही होता है । Non-declaration memories के साथ ऐसा नहीं है, वो सीधे long-term से हीं मानस पटल पे आ जाती हैं और उसमें हमें कोई भी विचार-विमर्श नहीं करना पड़ता ।
पर अगर बात हो ऑफिस work की या परीक्षा में विषयों को याद करने की तो सारा दारोमदार हमारा होता है declaration memories पर । कुछ भी ज्यादा समय तक याद रखने के लिए हमें बस इतना सुनिश्चित करना है कि जो भी सूचनाएँ हमें संग्रहीत करनी है वो येन केन प्रकारेण हमारे temporary storage से long-term storage में चला जाये । अभी हम सारे तकनीक सीखें उससे पहले थोड़ा declarative memories के बारे में और जान लेते हैं ।
Declarative memories भी दो भागों में वैज्ञानिकों ने बाँट रखा है। और उन्हीं दो भागों से जुड़ा है रहस्य पूरे स्मरण शक्ति का । पहला भाग है episodic memory और दूसरा है semantic memory । Episodic memory वैसी memory है जिसे हमारा दिमाग किसी विशेष काल और स्थान के साथ जोड़ कर संग्रह करता है । और और इसका उदाहरण तो आपको अपने घर के सारे बड़े बुजुर्गों की बातों में देखने को मिल जाएगा । आप कभी उनसे किसी पुरानी बात को पूछिए तो उनकी लगभग हरेक बात कुछ ऐसे चालू होती है कि फलाने की शादी के समय की बात है या या ये उस समय की बात है जब हम एक बार अपने गाँव जा रहे थे आधी रात को । उन्होनें हरेक पुरानी यादों को जोड़ रखा है किसी विशेष यादगार समय से या किसी विशेष स्थान और परिस्थिति से । अपने घरों के बड़े बुजुर्गों का ये तरीका हम भी उपयोग में ला सकते हैं। इसमें होता क्या है कि व्यक्ति किसी भी जानकारी या बात को किसी ऐसे information के साथ लिंक कर देता है जो long-term memory का हिस्सा होती है या जीवन कि सबसे महत्व कि घटना होती है । इसको ऐसे भी समझा जा सकता है कि आप नई जानकारियों को अगर long-term storage की किसी घटना या जानकारी से जोड़ दे तो आपकी नई जानकारी temporary storage से long-term storage में चली जाती है । इसी episodic memory के साथ जुड़ी है याद्दाश्त बढ़ाने की सबसे पुरानी तकनीक जो कि आजकल Palace Memory के नाम से प्रसिद्ध है । इसमें सबसे पहले एक ऐसा घर या रास्ता चुनते हैं जिसका कोना कोना हमें अच्छे से याद हो । फिर उस रास्ते में ये उस घर के अलग अलग हिस्से चुन लेते हैं। और फिर जिस भी किसी जानकारी या सूचना को याद रखना है उसे हम उस रास्ते या घर के चुने हुए हिस्सों के साथ जोड़ देते हैं या उन हिस्सों में उन जानकारियों को चिपका देते हैं । अब जब भी आपको उस विषय या टॉपिक से कुछ याद करना है आप अपने मन में कल्पना कीजिये उस रास्ते का या उस घर का और घूमते जाइए उनके हिस्सों को और आपको जो भी विशेष जानकारी चाहिए होगी वो किसी न किसी हिस्से में मिल जाएगी । इसमें हमने लॉन्ग-term memory में संग्रहीत रास्ते या घर के हिस्सों के साथ नई जानकारियाँ जोड़ कर उन्हें temporary memory store से long -term memory में स्थानांतरित कर रहे हैं ।
Comments
Post a Comment