अनोखा लेखाजोखा _2018


नमस्कार !
आज आखिरी दिन है 2018 का। वैसे ज्यादातर लोग तो आज, कल आने वाले नव वर्ष का स्वागत धूमधाम और नाचते थिरकते हुए करने की तयारी करने में व्यस्त होते हैं। मैं भी तैयारियों में हीं लगा हूँ आज, पर वो धूमधाम और थिरकने वाली नहीं बल्कि यादों की छंटनी करने में जो मुझे अपने साथ ले जाना है नए वर्ष में। बहुत सारी खट्टी मीठी  यादें हैं जो इतनी जिवंत हैं मानसपटल पे कि मन मानने को तैयार नहीं कि नव वर्ष आ गया। पर मन के मानने से क्या होता है वैसे भी मन के हिसाब से चलना और उसकी चपलता से तालमेल बिठाना दोनों ही असाध्य है। खैर हमें मन से क्या लेना देना असली मुद्दे पे आते हैं। आज सुबह से मोबाइल पे लोगों के ढेर सारे नव वर्ष  के शुभकामनाओं वाले सन्देश आ रहे हैं। कुछ लोग धन्यवाद वाला सन्देश भेज कर अपनी कृतज्ञता प्रकट कर रहे हैं कि मैं इस वर्ष  उनकी जिंदगी में  छोटी सी कड़ी बन कर जुड़ा रहा। मैंने भी कोशिश की आभार व्यक्त करने की और शुभकामनायें देने की FORWARDED MESSAGES की वैशाखी  के सहारे, परन्तु इस प्रयास को मेरे लेखक मन ने खोखला और निरर्थक साबित कर दिया। और अब इस खोखलेपन को भरने का एक ही तरीका समझ  आया मुझे कि इसे इस साल की यादों से भर दूँ। हालाँकि कुछ लोग इस प्रयास को पागलपन का नाम दे सकते हैं। पर क्या है कि मुझ साधारण मनुष्य के पास बीते हुए समय को पुनर्जीवित करने की संजीवनी तो है नहीं इसलिए मैं उन्हें फिर से जी नहीं सकता।  लेकिन मैं उन्हें सँजो  तो सकता हीं हूँ। शायद अच्छी यादों को पीछे छोड़ जाने का दुःख हीं कम हो जाये और मन उन्मुक्त हो कर तैयार रहे नूतन वर्ष की यादों का स्वागत करने के लिए।  
हर साल के अंत में साल का लेखा जोखा तो सब करते हीं हैं लेकिन वो कहीं ना कहीं सीधे तौर पे या अप्रत्यक्ष  अर्थ से हीं जुड़ा होता है। कुछ अलग करते हैं न इस वर्ष। इस साल लेखा जोखा निकालते हैं न अपनी दोस्ती का पुराने दोस्तों  के साथ और देखते हैं कि कितने नए दोस्त बने इस साल। हो सकता है बेवकूफी लगे लेकिन एक बार करना आप भी लेखा जोखा अपने दोस्तों का यकीन मानिये अच्छा लगेगा दिल को आपके। वैसे  भी कुछ लोग दिल को  तो पागल ही कहते हैं। मेरा ये साल तो बहुत उथल पुथल वाला रहा। कुछ बहुत दिल को अजीज   प्यारे JUNIORS २ छोटे भाई और १ प्यारी लेकिन नटखट छोटी बहन चले गए नई राहों पे नवीन मंजिलों की तलाश में। M.Tech. वाले जूनियर्स भी चले गए। पूरा band हीं बिखर गया हमारा। पर मैं कॉलेज के हॉस्टल में शिफ्ट हो गया और मुझे नए जूनियर्स मिले जो बहुत अच्छे है। इसी कड़ी में एक मेरा PhD का साथी दोस्त भी चला गया एक दूसरे पड़ाव पे पहुँचने के लिए। पर कई नए लोगों से जान पहचान भी हुई और इस साल मैंने २ दोस्त भी बना लिये। शायद आपको साल में २ दोस्त कम लग रहे हो पर मेरे लिए बहुत हैं। किन्हीं के साथ बहुत बात हुईं तो किन्ही को उनके जन्मदिन पे शुभकामना देने के बहाने इस साल की यादों की कड़ी में पिरो लिया। जिंदगी में दोस्त फूलों के गुच्छे जैसे होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति हीं एक अलग पुष्प की तरह होता है जिसके महक को कोई और फूल उत्पन्न नहीं कर सकता लेकिन गुलदस्ते के बाकि फूलों की महक से स्वयं की जिंदगी सुगन्धित बानी रहती है। वैसे कुल मिलाकर शानदार सा दिख रहा है ये 2018 तो। आप भी करना लेखाजोखा अपना अपनी यादों का और अगर मैं कहीं मिलूं उन यादों में तो सहेजना और न कर पाओ तो मुझे बताना। एक शायरी के साथ ख़त्म करता हूँ अपनी  "वैसे तो हर दिल-अजीज लम्हों को ढाला  है मैंने शब्दों में, पर उसका क्या कि हर तेरे साथ का हर पल दिल अजीज है। "
नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें और हाँ मुझे अपनी जिंदगी की एक छोटी सी कड़ी बनाने के लिए धन्यवाद।   

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