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Showing posts from March, 2019

भाषा और रीडिंग स्पीड

वैसे तो आजकल कुछ पढ़ने के लिए समय निकालना बहुत ही मुश्किल जान पड़ता है  और तब तो और मुश्किल हो जाती है जब आपके पास NETFLIX और AMAZON PRIME  जैसे सेवा प्रदाता उपलब्ध हों। आखिर GAME OF THRONES को कौन पढ़ने की सोचता है जबकि उसके पास उसे देखने का विकल्प हो। पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें सनक रहती है पढ़ने की और जब पूरी दुनिया SACRED GAMES  देखने में व्यस्त रहती है तब वो अकेले उसे अपने KINDLE  में पढ़ते हुए पाए जाते हैं। 😅 ना ना, मैं  नहीं शामिल हूँ ऐसी महान आत्माओं के वर्ग में। मुझे तो बहुत पसंद है ये SHOWS। परन्तु किसी लेखक की कहानी पढ़ने में और उसे देखने में बहुत अंतर है। पढ़ते समय आप स्वतंत्र होते हैं अपने प्रिय चरित्रों की सजीव कल्पना के लिए  जबकि उस कहानी के आधार पे बने धारावाहिक में ऐसी स्वतंत्रता की अपेक्षा करना  बचकाना हीं है। आर. आर. मार्टिन ने लिखा है, " A reader lives a thoousand lives before he dies. The man who never reads lives only one. "  तो फिर मार्टिन साहब के बातों में आकर मैंने एक और जिंदगी जीने की आशा में  SACRED GAMES पढ़ा (?...

शोकाकुल प्रेम

कभी कभी ऐसी परिस्थिति बन जाती है जिसमें निर्णय लेना अत्यंत ही दुष्कर होता है। और बात जब जिंदगी में प्रेम और उससे जुड़े भावनात्मक पक्षपातपूर्ण मामलों का हो तो फिर सर्वत्र अन्धकार ही व्याप्त होता प्रतीत होता है। यहाँ प्रेम से पल्लवित भावनाओं को पक्षपातपूर्ण कहना शायद अतिशयोक्ति हो सकती है लेकिन प्रायः प्यार में अंधे बने हुए लोग मिल ही जाते हैं। सभी ने अपने अपने पैमाने बना रखे हैं सच्चाई और विश्वसनीयता को परखने के और सभी को अपने पैमाने पे रत्ती भर का भी संदेह नहीं होता। कुछ प्यार को साथ बिताये हुए पलों के साथ जोड़कर तौलते हैं तो कुछ आपस में एक दूसरे के लिए सम्मान और समझ को असली मानक बताते हैं। वैसे पैसे को अधिकतर इस नाप जोख के मानक से बाहर ही रखा जाता है परन्तु इसका योगदान किसी भी तरीके से अनदेखा करने लायक नहीं है।  हालाँकि सत्य है कि जिस चीज का स्वयं अनुभव ना हो उसके बारे में टिपण्णी करना उच्श्रृंखलता या मात्र बचकानी हरकत के अलावा कुछ नहीं। परन्तु भले ही मैं कभी किसी के साथ स्वयं को जोड़ नहीं पाया लेकिन सामाजिक परिवेश में हो रहे सामान्य व्यावहारिक क्रियाकलापों का अवलोकन भलीभांति किया...