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Memory Power Tips

 अभी हाल हीं मैं एक पुस्तक पढ़ रहा था, "Moonwalking with Einstein "। उसमें बहुत सारे स्मरण शक्ति बढ़ाने के तरीके दिये हुए थे । और ये भी बताने की कोशिश की गई थी कि ' Experience ' का वास्तविक अर्थ आपके अपने कार्यक्षेत्र में प्रयोग में लाये जाने वाले एक विशेष तरह की जानकारियों को शीघ्रता के साथ और ज्यादा समय तक याद रखे रहने का कौशल मात्र है । जैसे कि कई सारे रेस्तरां में कुछेक वेटर ऐसे मिल जाएंगे जिन्हें आपका ऑर्डर लिखने कि आवश्यकता बिलकुल भी नहीं पड़ती चाहे जितना भी बड़ा ऑर्डर क्यूँ न हो । वैसे हीं कई कैब ड्राईवर ऐसे मिल जाएंगे कि जिन्हें रास्ते तुरंत याद हो जातें हैं और वो हमेशा याद रहता है उन्हें । ऐसा नहीं है कि उनका दिमाग हमसे ज्यादा विकसित है या स्मरण शक्ति ज्यादा अच्छी है, बिल्कुल नहीं ।  वो तो बस उन लोगों ने अपने अपने तरीके बना लिएं है चीजों को याद रखने के लिए और उस तकनीक को इतनी बार दुहराया है कि अब  "Sub-conscious mind" हीं सारा दारोमदार संभाल लेता है ।  खैर आते हैं फिर असली मुद्दे पर । तो बात ये है कि बचपन से अच्छी स्मरण शक्ति के चमत्कारिक शक्तियों के बा...

Earthquake questions

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 1. What is storey drift? Ans . It is the relative displacement between the floors above and/or below the storey under consideration. Storey drift ratio:- It is ratio of lateral displacement of storey relative to lower level storey and height of the storey. In short, it is ratio of storey drift and height of the storey. 2. What is soft storey? Ans. Soft storey is that storey of building which lateral stiffness is lesser than that in the storey above. According to IS code 1893:2002,  when a storey stiffness is lesser than 70% of stiffness of the storey above then the storey is termed as soft storey. Storey level lateral stiffness:- Storey level lateral stiffness is the total stiffness of all lateral load resisting system in the considered direction.  3. What is weak stoery? Ans. It is in in which the lateral strength of storey is lesser than that in the storey above.  Storey lateral strength : it is the total strength of all seismic force resisting elements sharing th...

2020 और अमावस की रात

नमस्कार   आज पहला दिन है इस साल के अंतिम माह का । ये साल 2020 सबको कुछ ना कुछ सीखा ही गया है । बहुतों के लिए ये साल अमावस की काली रात की तरह भयावह रहा । ये अमावस की रात प्रेमचंद की कहानियों में भयानक होती थी अपने घुप्प अंधेरे की कालिमा के वजह से । आजकल बिना पंचांग के तो पता भी नहीं चलता अमावस का परंतु फिर भी साहित्य में इस अमावस की काली रात की भयावहता किसी के भी डर को बड़ी शालीनता से प्रभावशाली तरीके से उकेरती है । अमावस की भयावहता और बढ़ जाती है अगर पवन देव थोड़े ज्यादा व्यग्रता से गतिमान हो जाते हैं । और जब देव की व्यग्रता आस पास के पेड़ पौधे अपने पत्तों की सरसराहट से प्रस्तुत करने लग जाते हैं तो यकीन मानिए फिर उनके पुत्र का नाम ही सहारा दे पाता है भयभीत मन को । परंतु ऐसा केवल किसी अपरिचित स्थान पे ही होता है । अपने घरौंदे के आस पास तो ये सरसराहट संगीत सा सुकून देता है और ये काली रात्रि तो टिमटिमाते तारों की भव्य आकाशगंगाओं की मनोहरता में खो जाने की प्रेरणा बन जाती है ।  खैर ये साल भी रहा अमावस की काली रात की तरह । प्रारम्भ में वस्तुस्थिति से अपरिचित होने की वजह से भयभीत ...

मेरा अरेराज

पुरे देश में कोरोना अपनी टांगें पसारने को तत्पर है और उससे बचने के लिए सम्पूर्ण भारत हीं सम्पूर्ण लॉकडाउन के बंधन में सिमटा हुआ है अपने -अपने घरों में। कई सारे सुरक्षा के उपाय और कई सारे निर्देश समाचार, प्रेस विज्ञप्ति और सोशल साइट पे लगातार दिए जा रहे हैं और उनका पालन करने की अपील भी बार बार की जा रही है। आशा है सभी इन निर्देशों का पालन करके कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से लड़ने में सहयोग कर रहे होंगे।   इस लॉकडाउन में समय काटना मुश्किल हो रहा था। ना जाने कैसे लोग खाली समय में फिल्में , सीरियल्स वगैरह देख लेते हैं ? हमसे तो तब तक चलचित्र का कोई भी फॉर्मेट देखा नहीं जाता जब तक कि उससे समय बर्बाद होने की स्पष्ट अनुभूति ना हो। और शायद यही कारण भी है कि हमने जितनी फिल्में परीक्षा के अवधि में देखी हैं एक साथ उतनी कालांतर में कभी देखी नहीं गई। शायद समय बर्बाद होने की अनुभूति जितनी ही तीव्र होती  है फिल्म देखने का आनंद उतना ही बढ़ जाता है। 😅                 ...

Raksha Bandhan and TVF's Tripling

It's little bit odd to write a blog seating at the Independence Day of this year at noon. And title of this blog is just too stupid to even mention that to anyone. But I am writing it anyway. It's Rakshabandhan today and I watched TVF's Tripling, a story of three siblings who were coerced to take a road trip away from their respective lives and de facto became helping shoulders to each other. And this awakened my long lost secluded ghost of homesickness again. Now I just want to go home to my sisters and talk to them and listen to them. Although telephonic conversation did happen in morning but still I miss them a lot. Seems at the day like Rakshabandhan just calling your sisters couldn't get through you out from your nostalgia.   The story of the web series tripling starts when the eldest brother comes to the youngest one to seek refuge after his divorce in USA. The eldest brother, Chandan, always remains serious and too stressed while the youngest one, Chitvan, ...

कल्पना की कल्पना (तृतीय खण्ड)

 पिछले पटकथा में कल्पना के लिए मेरे ह्रदय में प्रेम पुष्प अंकुरित होने की कथा का विवरण था। अब बारी थी मित्रों को ये बताने कि कैसे हमारे मध्य  प्रेम की बेलें पल्लवित हुईं और लिपटतीं गईं हम दोनों से हीं। वो कहते हैं ना प्रेम आदमी को दीवाना सा बना देता है और उसकी हरकतें सामान्य जिंदगी में पागलपन की सीमा को छूने के लिए विकल रहती हैं। तो मैंने भी जो दूसरी कहानी सुनाई वो कुछ ऐसा ही थी जिसे उस कालखंड में पागलपन ही करार दिया जाता। पागलपन से मेरा मतलब यहाँ ये है कि ऐसी हरकते करना जो दोस्ती से कुछ ज्यादा गरिष्ठ और प्रगाढ़ प्रतीत हो सभी को 😅। तो आता हूँ कहानी पे।          "बात तब की है जब हम दोनों 7 वीं कक्षा में थे। हिंदी की कक्षा चल रही थी और उस दिन हमें हमारे प्रधानाचार्य जी हीं पढ़ा रहे थे। " इतने में मेरे एक मित्र ने टोका कि हिंदी की वेला पढ़ने के लिए होती थी तुम्हारे यहाँ या ये इश्क़ लड़ाने के लिए ? पिछली कहानी भी हिंदी की ही घंटी में हुई थी। फिर मैंने उसे हल्की झिड़की देते हुए बताया कि केवल हिंदी की वेला ही ऐसी घंटी होती थी जब हम छात्रगण भी ...

भाषा और रीडिंग स्पीड

वैसे तो आजकल कुछ पढ़ने के लिए समय निकालना बहुत ही मुश्किल जान पड़ता है  और तब तो और मुश्किल हो जाती है जब आपके पास NETFLIX और AMAZON PRIME  जैसे सेवा प्रदाता उपलब्ध हों। आखिर GAME OF THRONES को कौन पढ़ने की सोचता है जबकि उसके पास उसे देखने का विकल्प हो। पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें सनक रहती है पढ़ने की और जब पूरी दुनिया SACRED GAMES  देखने में व्यस्त रहती है तब वो अकेले उसे अपने KINDLE  में पढ़ते हुए पाए जाते हैं। 😅 ना ना, मैं  नहीं शामिल हूँ ऐसी महान आत्माओं के वर्ग में। मुझे तो बहुत पसंद है ये SHOWS। परन्तु किसी लेखक की कहानी पढ़ने में और उसे देखने में बहुत अंतर है। पढ़ते समय आप स्वतंत्र होते हैं अपने प्रिय चरित्रों की सजीव कल्पना के लिए  जबकि उस कहानी के आधार पे बने धारावाहिक में ऐसी स्वतंत्रता की अपेक्षा करना  बचकाना हीं है। आर. आर. मार्टिन ने लिखा है, " A reader lives a thoousand lives before he dies. The man who never reads lives only one. "  तो फिर मार्टिन साहब के बातों में आकर मैंने एक और जिंदगी जीने की आशा में  SACRED GAMES पढ़ा (?...